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Bhagvad Gita on Envy

अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।​​
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी।।12.13।।

Meaning:- He who is not hateful towards any creature, who is friendly and compassionate, who has no idea of 'mine' and the idea of egoism, who is the same under sorrow and happiness, who is forgiving;


अर्थ:- भूतमात्र के प्रति जो द्वेषरहित है तथा सबका मित्र तथा करुणावान् है; जो ममता और अहंकार से रहित, सुख और दु:ख में सम और क्षमावान् है।।


Important word:- ‘friendly, compassionate ’

सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।​​
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।।

Meaning:- He who is ever content, who is a yogi, who has self-control, who has firm conviction, who has dedicated his mind and intellect to Me-he who is such a devotee of Mine is dear to Me.


अर्थ:- जो संयतात्मा, दृढ़निश्चयी योगी सदा सन्तुष्ट है, जो अपने मन और बुद्धि को मुझमें अर्पण किये हुए है, जो ऐसा मेरा भक्त है, वह मुझे प्रिय है।।


Important word:- ‘self-control ’

तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्।​​
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु।।16.19।।

Meaning:- I cast for ever those hateful, cruel, evil-doers in the worlds, the vilest of human beings, verily into the demoniacla classes.


अर्थ:- ऐसे उन द्वेष करने वाले, क्रूरकर्मी और नराधमों को मैं संसार में बारम्बार (अजस्रम्) आसुरी योनियों में ही गिराता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ।।


Important word:- ‘cruel ’

श्रद्धावाननसूयश्च श्रृणुयादपि यो नरः।​​
सोऽपि मुक्तः शुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम्।।18.71।।

Meaning:- Any man who, being reverential and free from cavilling, might even hear (this), he too, becoming free, shall attain the blessed worls of those who perform virtuous deeds.


अर्थ:- तथा जो श्रद्धावान् और अनसुयु (दोषदृष्टि रहित) पुरुष इसका श्रवणमात्र भी करेगा, वह भी (पापों से) मुक्त होकर पुण्यकर्मियों के शुभ (श्रेष्ठ) लोकों को प्राप्त कर लेगा।।


Important word:- ‘blessed words ’

May Lord Krishna be your inspiring guide!